रविवार, 7 फ़रवरी 2016

याचना

जब करे याचना 'सुंदरता'
लिख दो ना कवि, मुझ पर कविता
कुछ पता नहीं क्रय हो जाए
कब कंचन सम काया ललिता।

वर खोज रहे उपयुक्त पिता
जिसकी होना मुझको वनिता
आ वरण करे उससे पहले
मुझको मेरी ग्रैविटी  बता।

अब तक प्रचलित ही भाव खिले
कुछ गिने चुने ही शब्द मिले
कवि, अपने शब्दों में बाँधो
शुष्कता हृदय की छिले-छिले।



शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

छाप



भागा घूमे 'स्वर' किलकारी
बुद-बुद आये ज्वर की बारी
छप-छप कर गीले में कूदा
शैशव छाप शुष्क संचारी।