गुरुवार, 15 नवंबर 2012

'नमस्ते ...भैया!'

एक राह में
बार-बार मिलने से
मैं परच गया उससे।
 
चाहा बात करूँ उससे
परिचय से
स्नेह हुआ जिससे।
 
एक बार मैं
असमंजस में था
कि क्या बात करूँ मिलने पर।
 
सहसा वह
बोल पड़ी मुझसे - 'भैया'
'कहाँ खोये रहते हो, शरम से कुछ न कहते हो।'
 
चाल रोक कर
उन शब्दों का
जिनमें मिला हुआ था स्नेह सुधा-सा
- श्रवण कर लिया
- 'भैया' शब्द स्वीकार कर लिया
सहसा मुख से शब्द निकल गया 'बहना !'
 
बार-बार फिर
जब भी मिलते
हँसते, फिर भी बात न करते
वह थोड़ा रुकती चलते-चलते
शरम से कर देती झुक कर 'नमस्ते ...भैया!'
 

सोमवार, 12 नवंबर 2012

स्मृति-दीप

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
जला रहा हूँ आपके* बहाने  कुछ स्मृति-दीप ...
 

"चलो किसी बहाने सही
आप आये तो मिलने 'मुझसे'
-- ये भ्रम पाल रहा हूँ।"

"फिर से अपना परिचय मुझको
दे दो तो 'मैं जानूँ'
-- मानो कि भूल गया हूँ।"
 
"फिर वही बाल छवि कवि को तुम
दिखला दो तो 'दे दूँ सब'
-- ना समझो टाल रहा हूँ।"
 
"है ही क्या सोचोगे तुम 
देने को मुझपर 'तुमको'
-- तुमसे ही माँग रहा हूँ।"
 
"दे दो मुझको फिर शब्द वही 
जो बोला करते 'गुपचुप'
-- विनती कर माँग रहा हूँ।''
 
"ना जाने कौन तृप्ति होती है
इससे मेरे मन की
-- फिर फिर फिर माँग रहा हूँ।"
 
"हो प्रथम आप जिससे 'भैया' का
शब्द सुना ऐसा जो
-- कविता को प्राप्त हुआ हूँ।"

"गुड़िया आयी, चली गयी
है दण्ड सही - ईश्वर का
-- मन ही मन भोग रहा हूँ।"
 
"फिर चाह एक 'अमृता' बनी
उससे भी मैं ना हुआ धनी
-- अंतर्मन सुला रहा हूँ।"
 
"है मोह नहीं छूटता अभी
अब इंतज़ार है कल का
-- 'अमिलन' अभ्यास डाल रहा हूँ।"

"जाओ जल्दी से समझ
विज्ञान हमारे मन का
-- 'अवली' दीपक लगा रहा हूँ।"


*आपके = अमृता बिटिया

बुधवार, 7 नवंबर 2012

अब्धि-हार

उर्मि लालिमा की लाली से
माँग भर रही है सिन्दूर।
आशा ले उर मिला सकेगी
सागर से, तम में भरपूर।
पर सागर विधु से लड़ने को
सजा रहा है ज्वाला-शूल।
छिपा लिया खुद को उसने पर
नभ की ओर उड़ाकर धूल।
चला चाँद चुपचाप चरण धर
नभ पर, हँसकर धीरे-धीरे।
भेद दिया तम धूल सभी को
चंद बाण से सागर-तीरे।
उद्वेलन हो उठा ह्रदय में
सागर ने कर दिया प्रहार।
था वेश पूर्ण आवेश भरा
पर हुई अंत में अब्धि-हार।
 
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शब्दार्थ :
उर्मि = लहर, तरंग,
उर = ह्रदय,
विधु = चन्द्रमा,
ज्वाला-शूल = ज्वारों रूपी भाले,
धूल = धुंध,
उद्वेलन = क्रोध से भड़कना,
आवेश = क्रोध,
अब्धि-हार =सागर की पराजय