मंगलवार, 30 अगस्त 2011

दो उरों के द्वंद्व में

दो उरों के द्वंद्व में 
लुप्त बाण चल रहे 
स्नेह-रक्त बह रहा
घाव भी हैं लापता.

नयन बाण दोनों के 
आजमा वे बल रहे 
बाणों की भिड़ंत में 
स्वतः चार हो रहे.

बाणों की वर्षा से 
हार जब दोनों गये 
मात्र एक बाण छोड़ 
संधि हेतु बढ़ गये.

नागपाश बाहों का 
छोड़ दिया दोनों ने
स्नेह-घाव दोनों के 
कपालों पर बन गये.

दोनों ही हैं 'अस्त्रविद'
दोनों पर ब्रह्मास्त्र है 
दोनों सृष्टि हेतु हैं 
न करें तो विनाश है.

दोनों तो हैं संधि-मित्र 
प्रलय काल जब भी हो
जल-प्लावन काल में 
मनु पुत्र उत्पन्न हों.