रविवार, 14 अगस्त 2011

बिना सन्दर्भ सौन्दर्य प्रशंसा ... संशय का कारण

यदि मैं आपकी 
अकस्मात् बिना सन्दर्भ 
सौन्दर्य की प्रशंसा करने लगूँ 
तो आपके मन में 
सर्वप्रथम कौन-सा भाव आयेगा 
— क्या संशय तो नहीं? 
स्यात मेरी सोच, मेरी भावना पर.
किवा, प्रशंसा सुनकर 
लज्जा करना उचित समझोगे?
— हाँ, यदि आप 
स्वयं की दृष्टि में भी 
सुन्दर हो 
तो अवश्य लजाओगे.
क्या आप वास्तव में सुन्दर हो? 
आप अपने सौन्दर्य के विषय में क्या धारणा रखते हैं? — जानने की इच्छा है.

क्या विरह भाव के
धारण करने के लिए 
'प्रिय-पात्र' का 
निर्धारण या रूढ़ किया जाना 
संगत है/ उचित है?
? किंकर्तव्य_