मंगलवार, 2 नवंबर 2010

तुम एक बार फिर से आवो

तुम एक बार फिर से आवो 
कह दूँगा सब मैं झिझक खोल 
अटके जिह्वा पर शब्द कई 
फूला जाता मेरा कपोल. 


संकोच नहीं कहने देता 
लक्ष्मी, तुमसे दो मधुर बोल. 
ओ चारु देवि! करते कर्षित 
विस्फारित लोचन श्याम लोल. 


मन सुखी नहीं रहने देता 
ओ सुन गणेश ग..ग गोल-गोल. 
उपचार कोई-सा बतला दो 
बढ़ जाय आपसे मेलजोल.