सोमवार, 1 नवंबर 2010

प्रेम-पत्र

ए ! दिन पर दिन बीते जाते
पर तुम ना मेरे घर आते
मैं जोड़ रही तुमसे नाते
पर तुम मुझसे क्यों घबराते.

सूरज से बोल रहीं रातें
मैं आती हूँ करने बातें
पर मेघपटल पर प्रेम-पत्र
तुम छोड़ यहाँ से भग जाते.

भैया-चंद तुमसे दिव लेकर
मुझ पर सुन्दरता बरसाते
पर एक बार भी मेरे घर
तशरीफ नहीं तुम फरमाते.