शुक्रवार, 28 मई 2010

कब तलक रहें हम मौन कहो

कब तलक रहें हम मौन कहो.
कुछ ना कह पाने की पीड़ा.
इच्छा मन में करती क्रीड़ा.
हो आर्तनाद बिन आहट  हो.
कब तलक रहें हम मौन कहो.

है कौन प्रेम की परिभाषा.
बिन शब्द व्यक्त होती भाषा.
परिचय ही क्या कुछ शब्द ना हो.
कब तलक रहें हम मौन कहो.

हो आप कोई भाषा-भाषी.
मुझ पर शब्दों की कुछ राशी.
क्या बात करें जब समझ ना हो.
कब तलक रहें हम मौन कहो.


कविता जिव्हा पर आ मेरे.
मैं विवश हुआ सम्मुख तेरे
जब भी मुख पर कुछ रौनक हो.
कब तलक रहें हम मौन कहो.


[अलंकार : 'तेरे' शब्देक अलंकार, जिसे कभी 'दहली दीपक अलंकार' के रूप में जाना जाता था. 'दहली मतलब दहलीज पर रखा दीपक जो अंदर भी प्रकाश करे और बाहर भी उजेला करे. .......और विस्तार बाद में कभी]


"रौनक" : लज्जा से निहतार्थ