गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

ज्ञानोपनयन-3

आया बसंत पट हटा अरी
चख चहक रहे "अब करो बरी"
तुमने इनको कब कैद किया
– है पूछ रही ऋतुराज-परी.

क्यों दी इनको आजन्म कैद
पिंजर खोलो, उल्लास भरो.
त्राटक कर इनको रूप पुरा
देना, नूतन उपचार करो.

(स्वसा नूतन श्री को सादर समर्पित)