शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

मंगली कन्या

तुम अशुभ मान बैठे जो-जो
मुझको तो लगे वही शुभ है!
हे त्रयोदशी मंगली कन्या !
तुम फुल्ल रहो शुभ ही शुभ है!

चतुर्थ, अष्ट, द्वादश घर में
कुण्डली मार बैठा मंगल!
चंचल स्वभाव भयभीत हुआ
अहि मान उसे होता ओझल!

(सभी मांगलिक कन्याओं को समर्पित)